रविवार, 23 अगस्त 2009

कही अनकही

मेरा नाम रवि रंजन कुमार है। आठ बरसों के संघर्स के बाद एक बार फ़िर मुझे महसूस होने लगा है कि मेरे अन्दर कि आग अभी मरी नही है। विश्वविद्यालयी शिक्छा पास करने के बाद एक लंबे खालीपन के बाद मीडिया की नौकरी तरफ उन्मुख हुआ। वैसे तो कोर्स के दौरान यही बतया गया था कि मीडिया में आना सेवा के सामान है.... मगर यह भ्रम तो E.TV में इन्टर्न करने के दौरान ही दूर हो गया। इसलिए मै तो इसे नौकरी ही कहूँगा । नौकरी के रूप में यह कितना चार्मिंग है , यह तो धीरे धीरे ही पता चलेगा। उम्मीद करता हूँ कि इतनी हिम्मत जुटा पाउँगा कि अपने प्रोफेसन की भी ईमानदारी से आलोचना कर पाउँगा।