मंगलवार, 19 जनवरी 2010

जब एक भाषा मरती है



जब एक भाषा का मरती है तो मानवीय अनुभवों की पूरी एक परंपरा मर जाती है। अपने अन्दर अनगिनत ज्ञान का भंडार लिए ये भाषाएँ मानवीय इतिहास की थाती हैं। कई ऐसी भाषाएँ मर चुकी हैं,जिनकी उपयोगिता शायद मानव जीवन को बचाए रखने के लिए आवश्यक थी।
कई ऐसे आदिवासी समूह हैं जिनमें प्रकृति से संतुलन बनाये रखने की गजब की काबीलियत है। आज जब हमारे जीवन जीने का तरीका ही हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए विनाश का सामान तैयार कर रही हैं तो यह मज़बूरी बनती जा रही है कि हम अपने इस उपभोग आधारित जीवन शैली पर पुनर्विचार करें। ऐसे में जब विकल्पों पर विचार किया जायेगा तो इन आदिवासी समूहों के अनुभवों की जरुरत महसूस होगी।
हमें कतई यह हक़ नहीं पहुँचता कि हम इन अनुभवों को मिटा दें। ये आने वाली उन पीढ़ियों के काम आएगी जिनके सामने हम एक असुविधाजनक विश्व छोड़ कर जाएगें। मैं नहीं समझता कि मेरी बातें ज्यदा कठोड़ हैं, और न ही यह समझौतावादी मानसिकता कि पैदाइस है। दरअसल समस्या बड़ी है और उसके लिए किये जाने वाले उपाए टाट पर पैबंद लगाने सरीखे । समस्या हमारे जीवन जीने के तरीके में है। जरुरत से ज्यादा प्रकृति का दोहन निश्चय ही घातक है।
महात्मा गाँधी ने संयम और संतोष में मानवता का विकाश का माना था। उनका नजरिया प्रकृति से साहचर्य बना कर चलने की थी। जबकि हमने पश्चिमी उपभोक्तावाद का रास्ता चुना । शायद आने वाला इतिहास हमें इस भूल का अहसास दिलाय। इसलिए जरुरत जो है उसे संजो कर रखने की है।
अकेले अमेरिका में पिछले सौ सालों में सैकड़ों भाषाएँ ख्त्म हो चुकी हैं। कुछ को बोलने वाले बमुश्किल पचास या सौ लोग हैं। जरुरत इनको बचाने की है।अमेरिका में बसी यूरोपीय जातियों ने स्थानीय संस्कृति को मिटाने के लिए बड़ी निर्ममता से वहां की बोलियों को खत्म किया। यह सिलसिला अभी भी जारी है। लगभग यही हाल आस्ट्रेलिया का है। हमारे यहाँ भी स्थिति ज्यादा अलग नही है। पिछले कुछ समय से जिस तरह आदिवासियों को जंगलों से बेदखल किया जा रह है। जबरदस्ती उन पर बहुसंख्यक आबादी की जीवन शैली थोपी जा रही है। इससे बहुलतावादी , बहुसांस्कृतिक और बहुभाषीय समाज का न केवल ताना बाना बिगड़ेगा , बल्कि इनके साथ बहुत सी परम्पराएँ , अनुशंधान, उपचार और अनुभव का भी अंत हो जाएगा ।
इस बहुरंगी प्रकृति की संरचना इसकी विविधता पर आधारित है। जीवों और पौधों की पूरी एक माला है जो कि एक दूसरे से गुंथी हुई है। इनमे एक का भी टूटना पूरी माला को तोड़ देगा। जाहिर हर मोती की हिफाज़त जरुरी है।

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