शनिवार, 5 दिसंबर 2009

गप -शप

आजकल मिडिया में कम करने का अवसर मिल रहा है। पहले की जिंदगी से बिल्कुल अलग महसूस कर रहा हूँ । कहाँ विश्वविद्यालय की आरामतलब जिंदगी और कहाँ यह भाग-दौड़ । शुरू -शुरू में थोरी परेशनी हुई मगर अब ठीक लगता है। इस जिन्दगी में भाग-दौड़ भले ही हो जिन्दगी में एक गति है, कभी-कभी ज्यादा आराम निकम्मापन का पर्याय बन जाता है। कम से कम अपने बारे में मै यही कह सकता हूँ । देखते है - अभी तो शुरुआत है। आने वाला वक्त और क्या -क्या दिखाता है।

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